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Adani group companies कर्ज के बोझ से परेशान हैं, यहां जानें उनकी दिक्कतें

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Adani group companies : अडानी ग्रुप के कर्ज को लेकर एक बार फिर चर्चा गर्म हो रही है। हालांकि समूह का कहना है कि कर्ज को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। अडानी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ 27 जनवरी को आ रहा है। वहीं, ग्रुप 5 3 से 5 साल में आईपीओ लॉन्च कर सकता है।

3 से 5 साल में आ सकते हैं अडानी ग्रुप के 5 IPO

अडाणी इंटरप्राइजेज एफपीओ के जरिए 20 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी. अदानी ग्रुप तेजी से अपने कारोबार का विस्तार कर रहा है। आपने बड़ों से यह सीख तो सुनी ही होगी कि बेटे को सूखी रोटी भी खानी पड़े तो कर्ज नहीं लेना चाहिए। लेकिन व्यापार जगत में इसका उल्टा है। बड़े व्यावसायिक घराने ऋण के आधार पर अपना व्यवसाय खड़ा करते हैं। कंपनी कितनी भी बड़ी क्यों न हो. उसे कारोबार विस्तार के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है। लेकिन अगर संपत्ति और देनदारियों के बीच संतुलन नहीं है, तो नाव को डूबने में देर नहीं लगती। कर्ज हो सकता है लेकिन एक सीमा तक। बिजनेस की दुनिया में अडानी ग्रुप का नाम लिए बिना लोन की बात नहीं हो सकती। अडानी ग्रुप का कर्ज इसलिए चर्चा में है.

क्योंकि यह ग्रुप पैसा जुटाने के लिए आने वाले समय में 5 आईपीओ लॉन्च करने जा रहा है। अडानी समूह पर बार-बार अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए भारी कर्ज लेने का आरोप लगाया गया है। गौतम अडानी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर सकते हैं, लेकिन आंकड़े झूठ नहीं बोलते। 31 मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में अदानी ग्रुप का कुल कर्ज 40 फीसदी बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपए हो गया। फिच ग्रुप की क्रेडिट साइट्स ने यह आंकड़ा जारी किया है। क्रेडिट साइट्स ने अडानी ग्रुप को ओवर-लीवरेज करार देते हुए कर्ज पर चिंता जताई थी।

Adani group companies ने आरोपों का जोरदार खंडन किया

Adani group companies के अधिकारियों का कहना है. कि उनके सामने किसी ने कर्ज को लेकर चिंता नहीं जताई है. गौतम अडानी ने खुद कहा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाने में 30-40 फीसदी पैसा और 60-70 फीसदी कर्ज लगता है। उनका कहना है कि कर्ज के मामले में अडानी समूह की साख भारत सरकार के बराबर है. यानी यह सॉवरेन रेटिंग है। अब सवाल यह है कि जब कर्ज की चिंता ही नहीं है तो शेयरों को गिरवी क्यों रखा जा रहा है। इतना बड़ा FPO और फिर 5 कंपनियों का IPO लाने की क्या जरूरत है? क्या बाजार से पैसा जुटाकर कर्ज का बोझ कम करना चाहते हैं गौतम अडानी?

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सीमेंट कंपनियों के शेयर गिरवी रखे गए थे

सितंबर 2022 में अडानी ग्रुप द्वारा शेयर गिरवी रखने की खबर सामने आई थी। अडानी ग्रुप ने अपनी दो सीमेंट कंपनियों के बड़ी संख्या में शेयर गिरवी रखे थे। समूह ने एसीसी और अंबुजा सीमेंट के 10.36 लाख करोड़ रुपये के शेयर गिरवी रखे थे। किसी भी कंपनी के बैलेंस शीट में शेयरों को गिरवी रखने की जानकारी को काफी नेगेटिव माना जाता है। फिर भी अडानी ग्रुप ने शेयर गिरवी रखकर पैसे जुटाए। इससे पहले, ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चला था कि अडानी ग्रीन का एशिया में दूसरा सबसे खराब डेट-टू-इक्विटी अनुपात था। डेट टू इक्विटी रेशियो किसी भी कंपनी के फंडामेंटल की जांच करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसमें कंपनी की कुल देनदारियों की तुलना शेयरधारकों की इक्विटी से की जाती है।

3-5 साल में 5 आईपीओ आएंगे

अब अडानी ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर जगशिंदर सिंह ने कहा है कि अडानी ग्रुप अपनी और कंपनियों को अलग करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि अगले तीन से पांच साल में कम से कम पांच इकाइयां बाजार में उतरने के लिए तैयार होंगी। अदानी ग्रुप इंडस्ट्रीज, अदानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स, अदानी रोड ट्रांसपोर्ट, अदानी कोनेक्स के साथ-साथ समूह की धातु और खनन इकाइयां अलग-अलग कंपनियां होंगी। इसका सीधा सा मतलब है कि 2026 से 2028 के बीच अडानी ग्रुप की कम से कम 5 कंपनियों के आईपीओ बाजार में आएंगे।

अदानी एंटरप्राइजेज एफपीओ

अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदानी इंटरप्राइजेज कुछ ही दिनों में बाजार से बड़ी रकम जुटाने जा रही है। अदाणी इंटरप्राइजेज का एफपीओ 27 जनवरी को बाजार में आ रहा है। कंपनियां एफपीओ के जरिए अतिरिक्त शेयर जारी कर आईपीओ के बाद बाजार से पैसा जुटाती हैं। इस एफपीओ से अडानी ग्रुप 20 हजार करोड़ रुपए जुटाएगा। यह एफपीओ इतना बड़ा है कि पूरा होने पर यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा एफपीओ होगा।

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Adani group companies तेजी से व्यापार विस्तार

गौतम अडानी बंदरगाहों और कोयला खनन पर केंद्रित अपने कारोबार का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। वे हवाई अड्डों, डेटा केंद्रों और सीमेंट के साथ-साथ हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस कारोबार के विस्तार के लिए पैसों की जरूरत है, जिसके लिए कर्ज लिया जा रहा है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अडाणी समूह की आक्रामक विस्तार योजना से समूह की कंपनियां कर्ज में डूबी रहेंगी।

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