Dussehra: विजयदशमी या दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. हिंदुत्व धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है. इस वर्ष दशहरा (dussehra ) शुक्रवार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस बार दशहरा दहन सर्वार्थसिद्धि और रवि योग में मनाया जायेगा. ज्योतिषाचार्य अनीष जी व्यास (Anishji vyas ) ने कहा कि 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग एवं सूर्योदय से प्रात 9:16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रात बना रहेगा. मान्यता है कि इस दिन दशरथ पुत्र भगवान श्री राम ने घमंडी रावण का वध किया था. और साथ ही माँ दुर्गा ने महिषासुर का भी वध किया था. इसी कारण इस दिन माँ दुर्गा और भगवान राम का पूजन करने का विधान है. दशहरा दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है.
रावण का वध कर सोने की लंका पर विजय पाई
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास (Anish vyas) ने जानकारी दी कि इस पर्व को मनाने के पीछे दो कहानियां हैं. भगवान श्री राम (Shree Ram) ने इसी दिन रावण का वध कर सोने की लंका पर विजय पाई थाई. और अपनी पत्नी सीता को घर वापस लेकर आए थे. वहीं दूसरी कहानी में माता दुर्गा ने इसी दिन राक्षक महिषादुर का वध कर ब्रह्मांड के देवताओं की रक्षा की थी.
दशहरा को कई तरीकों से मनाया जाता है- Dussehra
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने कहा कि अलग-अलग जगहों पर दशहरे का पर्व भिन्न-भिन्न तरीके से मनाया जाता है. शस्त्र का उपयोग करने वाला समुदाय इस दिन शस्त्रों की पूजा करते हैं. और कई लोग इस दिन अपने वाहनों, पुस्तकों आदि की पूजा करते है. किसी नए कार्य को शुरू करने के लिए यह दिन सबसे अच्छा माना जाता है. कई स्थानों पर दशहरे के पर्व पर नए वाहन, नया घर इत्यादि खरीदने की परंपरा है. इस दिन सभी जगहों पर रावण का पुतला जलाया जाता है.
दशहरा दहन का शुभ मुहूर्त- dussehra 2021
दशमी तिथि 14 अक्टूबर को सांयकाल 06:52 बजे से प्रारंभ होगी, जो कि 15 अक्टूबर को सांयकाल 06:02 बजे समाप्त होगी.- श्रवण नक्षत्र प्रारंभ:- 14 अक्टूबर 2021 प्रांत 9:36 और 15 अक्टूबर 2021 को सुबह 9.16 समाप्त .
- पूजा का समय- 15 अक्टूबर दोपहर करीब 2:02 मिनट से लेकर दोपहर 2:48 मिनट तक
मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन शुभ मना जाता है.
यह भी पढ़े :- क्या ननद-भाभी के झगड़े ने बनाया था जीण माता का मंदिर